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सुख और दुख

    सुख और दुख क्या है सुख और दुख में से कोई भी शाश्वत नहीं है अर्थात कायम नहीं है दोनों ही एक समय पर विलीन हो जाते हैं हमें किसी सुख का अनुभव थोड़े समय तक ही होता है और दुख का अनुभव भी थोड़े समय तक ही होता है  जब तक हम किसी वस्तु व्यक्ति या पद को सुख मानेंगे तो हमें कभी भी सुख मिल ही नहीं सकता क्योंकि सुख कभी भी पाया नहीं जा सकता आज तक हम सुख और दुख को कभी जान ही नहीं सके सुख और दुख मन के एक भाव है जिस वस्तु में हमारी रुचि है वह वस्तु हमें प्राप्त हो जाए तो हमें सुख की अनुभूति होती है और अगर वही वस्तु हमें प्राप्त ना हो ऐसी कोई वस्तु जो हम स्वीकारना ना चाहते हो वह हमें प्राप्त हो जाए तो हमें दुख की अनुभूति होती है सुख और दुख दोनों में से कोई भी सत्य नहीं है कहने का मतलब है कि जो हमें लगता है कि "यह हमारा सुख है और यह हमारा दुख है तो दोनों ही हमारे भ्रम है" अगर वास्तव में कोई हमारे लिए सुख होता तो वह सबके लिए सुख होता और हमारे लिए जो दुख होता वह सबके लिए दुख होता पर ऐसा नहीं है  क्योंकि व्यक्ति के अनुसार व्यक्ति के भाव अ

समय का महत्व

                                               जब हम स्कूल में थे तब हमें हमारे शिक्षक हमें समय  का महत्व बताया करते थे। हर कोई समय का महत्व जानता है पर उस पर चल नहीं सकता ऐसा क्यों होता है क्योंकि हम वास्तविकता को स्वीकारना नहीं चाहते जो कार्य जिस समय पर होता है वही समय पर होना चाहिए।                                               जो व्यक्ति समय का महत्व नहीं समझता उसे अवश्य ही परेशानी का सामना करना पड़ता है। समय कभी भी वर्तमान में अपना प्रभाव नहीं बताता परंतु भविष्य में ही उसका प्रभाव मालूम पड़ता है और बाद में हमें पछतावा होता है कि अगर हम समय के महत्व को जान गए होते तो आज ऐसा ना होता।                                               तो अगर  यह निश्चित ही है कि हम अगर समय के महत्व को नहीं पहचानेंगे तो बाद में हमें पछताना पड़ेगा तो क्यों हम समय का योग्य रुप से पालन नहीं करते।                                                समय का इंतजार मत करें, समय कभी नहीं आएगा जो कार्य करना है वह कार्य हमें योग्य समय पर करना ही पड़ेगा।                    

अवचेतन मन

                                                         आज का मुख्य मुद्दा है हमारा अवचेतन मन। अवचेतन मन हमारे शरीर का एक ऐसा हिस्सा है जिसे कोई आज तक पूरे पूरा जान नहीं सका। हमारा अवचेतन मन बहुत ही शक्तिशाली है। अब हमें यह प्रश्न होगा कि यह अवचेतन मन है क्या ? जिसने जान लिया कि अवचेतन मन क्या है उसने सफलता की कुंजी पा ली समझो, बल्कि अवचेतन मन को समझना ही सफलता की कुंजी है।                                                          हमारी पुरानी देखी हुई कोई चीज या सुना हुआ कोई शब्द अवचेतन मन ग्रहण कर लेता है और बाद में हमें इसका एक निश्चित परिणाम प्राप्त होता है।                                                          अवचेतन मन के बारे में सिर्फ पढ़ते रहने से हम कभी भी अवचेतन मन को जान नहीं सकते। बल्कि उसका अनुभव प्राप्त करने पर ही अवचेतन मन के बारे में ज्ञान प्राप्त होगा। अगर कोई व्यक्ति ने अवचेतन मन पर कोई वीडियो बनाई हो तो वह व्यक्ति ने उसे कहीं  तो पढ़ा ही होगा  और अगर किसी व्यक्ति ने उसे लिखा होगा तो वह कहीं से पढ़ा ही होगा। तो बेहत

विचार विज्ञान

                                           हमारे शास्त्रों में विचार का बहुत महत्व बताया गया है।हमारा मनोविज्ञान भी इसके बारे में संशोधन कर चुका है।हमारे विचार सर्वत्र व्याप्त है जो हम सोचते रहते हैं। उसका बहुत ही गहरा प्रभाव पड़ता है। कभी-कभी हमें प्रश्न होता है कि  विचार का उद्भव कैसे होता है? विचार हमारे इंद्रियों पर आधारित रहते हैं। इंद्रियां पांच प्रकार की होती है आंख,नाक,कान,जीभ,त्वचा।                                            यह इंद्रियां ही विचार के कारण है। विचार हमारे सांसो पर आधारित रहते हैं। विचार दो तरह के होते हैं: सकारात्मक और नकारात्मक। हम सकारात्मक विचार करते हैं तो उसका सकारात्मक परिणाम हमको प्राप्त होता है और जब हम नकारात्मक विचार करते हैं तो हमें उसका नकारात्मक परिणाम प्राप्त होता है। यह संपूर्णता हम पर आधार रखता है कि हम किस प्रकार के विचार करें।                                             इसके पीछे एक बहुत बड़ा रहस्य है जो शब्द हम बोलते हैं उसका ब्रह्मांड में एक बहुत ही गहरा  प्रभाव पड़ता है।  इसलिए हमें इतना ही बो