हमारे शास्त्रों में विचार का बहुत महत्व बताया गया है।हमारा मनोविज्ञान भी इसके बारे में संशोधन कर चुका है।हमारे विचार सर्वत्र व्याप्त है जो हम सोचते रहते हैं। उसका बहुत ही गहरा प्रभाव पड़ता है। कभी-कभी हमें प्रश्न होता है कि विचार का उद्भव कैसे होता है? विचार हमारे इंद्रियों पर आधारित रहते हैं। इंद्रियां पांच प्रकार की होती है आंख,नाक,कान,जीभ,त्वचा। यह इंद्रियां ही विचार के कारण है। विचार हमारे सांसो पर आधारित रहते हैं। विचार दो तरह के होते हैं: सकारात्मक और नकारात्मक। हम सकारात्मक विचार करते हैं तो उसका सकारात्मक परिणाम हमको प्राप्त होता है और जब हम नकारात्मक विचार करते हैं तो हमें उसका नकारात्मक परिणाम प्राप्त होता है। यह संपूर्णता हम पर आधार रखता है कि हम किस प्रकार के विचार करें। इसके पीछे एक बहुत बड़ा रहस्य है जो शब्द हम बोलते हैं उसका ब्रह्मांड में एक बहुत ही गहरा प्रभाव पड़ता है। इसलिए हमें इतना ही बो
जब हम स्कूल में थे तब हमें हमारे शिक्षक हमें समय का महत्व बताया करते थे। हर कोई समय का महत्व जानता है पर उस पर चल नहीं सकता ऐसा क्यों होता है क्योंकि हम वास्तविकता को स्वीकारना नहीं चाहते जो कार्य जिस समय पर होता है वही समय पर होना चाहिए। जो व्यक्ति समय का महत्व नहीं समझता उसे अवश्य ही परेशानी का सामना करना पड़ता है। समय कभी भी वर्तमान में अपना प्रभाव नहीं बताता परंतु भविष्य में ही उसका प्रभाव मालूम पड़ता है और बाद में हमें पछतावा होता है कि अगर हम समय के महत्व को जान गए होते तो आज ऐसा ना होता। तो अगर यह निश्चित ही है कि हम अगर समय के महत्व को नहीं पहचानेंगे तो बाद में हमें पछताना पड़ेगा तो क्यों हम समय का योग्य रुप से पालन नहीं करते। समय का इंतजार मत करें, समय कभी नहीं आएगा जो कार्य करना है वह कार्य हमें योग्य समय पर करना ही पड़ेगा।
आज का मुख्य मुद्दा है हमारा अवचेतन मन। अवचेतन मन हमारे शरीर का एक ऐसा हिस्सा है जिसे कोई आज तक पूरे पूरा जान नहीं सका। हमारा अवचेतन मन बहुत ही शक्तिशाली है। अब हमें यह प्रश्न होगा कि यह अवचेतन मन है क्या ? जिसने जान लिया कि अवचेतन मन क्या है उसने सफलता की कुंजी पा ली समझो, बल्कि अवचेतन मन को समझना ही सफलता की कुंजी है। हमारी पुरानी देखी हुई कोई चीज या सुना हुआ कोई शब्द अवचेतन मन ग्रहण कर लेता है और बाद में हमें इसका एक निश्चित परिणाम प्राप्त होता है। अवचेतन मन के बारे में सिर्फ पढ़ते रहने से हम कभी भी अवचेतन मन को जान नहीं सकते। बल्कि उसका अनुभव प्राप्त करने पर ही अवचेतन मन के बारे में ज्ञान प्राप्त होगा। अगर कोई व्यक्ति ने अवचेतन मन पर कोई वीडियो बनाई हो तो वह व्यक्ति ने उसे कहीं तो पढ़ा ही होगा और अगर किसी व्यक्ति ने उसे लिखा होगा तो वह कहीं से पढ़ा ही होगा। तो बेहत
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Thank You very much...