अवचेतन मन

                                              आज का मुख्य मुद्दा है हमारा अवचेतन मन। अवचेतन मन हमारे शरीर का एक ऐसा हिस्सा है जिसे कोई आज तक पूरे पूरा जान नहीं सका। हमारा अवचेतन मन बहुत ही शक्तिशाली है। अब हमें यह प्रश्न होगा कि यह अवचेतन मन है क्या ? जिसने जान लिया कि अवचेतन मन क्या है उसने सफलता की कुंजी पा ली समझो, बल्कि अवचेतन मन को समझना ही सफलता की कुंजी है।

                                              हमारी पुरानी देखी हुई कोई चीज या सुना हुआ कोई शब्द अवचेतन मन ग्रहण कर लेता है और बाद में हमें इसका एक निश्चित परिणाम प्राप्त होता है।

                                             अवचेतन मन के बारे में सिर्फ पढ़ते रहने से हम कभी भी अवचेतन मन को जान नहीं सकते। बल्कि उसका अनुभव प्राप्त करने पर ही अवचेतन मन के बारे में ज्ञान प्राप्त होगा। अगर कोई व्यक्ति ने अवचेतन मन पर कोई वीडियो बनाई हो तो वह व्यक्ति ने उसे कहीं  तो पढ़ा ही होगा  और अगर किसी व्यक्ति ने उसे लिखा होगा तो वह कहीं से पढ़ा ही होगा। तो बेहतर यही होगा कि हम अपने अनुभव के द्वारा अवचेतन मन की शक्ति को समझने  का प्रयास करें।

                                             मैं इसका एक आसान सा उदाहरण प्रस्तुत कर रहा हूं। जब हम छोटे थे तब हमें साइकिल चलाना बहुत ही मुश्किल लग रहा था। परंतु जैसे-जैसे हमें अभ्यास  हुआ वैसे वैसे हमें वह कार्य बहुत ही आसान लगने लगा है। आज हम किसी नन्हे बच्चे को साइकिल चलाना देखेंगे तो हम उस पर हंसने लगेंगे, क्योंकि अब हमें वह कार्य बहुत ही आसान लग रहा है। एक समय पर वह कार्य हमें बहुत ही कठिन लग रहा था। वैसे ही हम कोई नई चीज का आरंभ करते हैं तो प्रारंभ में हमें वह कार्य बहुत ही मुश्किल लगता है। इसका कारण यह है कि हमारे अवचेतन मन को उस कार्य का अभ्यास नहीं है। जब अभ्यास हो जाएगा तो कार्य आसान हो जाएगा। जब हम हमारे अवचेतन मन को उस कार्य की आदत डाल देंगे तो वह कार्य आसान हो जाएगा। वैसे ही भूतकाल में कुछ परिस्थितियों से डर लगता था  वह परिस्थिति जब हमारे सामने आती है तो हमें वही चीज का डर लगता है क्योंकि हमारे अवचेतन मन को उसकी आदत पड़ चुकी है

                                             जब हमें कोई वीडियो गेम जैसे PUBG, CALL OF DUTY, FREE FIRE खेलनी हो तो हमें वह मुश्किल नहीं  लगती। क्योंकि उस कार्य में हमारी रुचि ज्यादा है और उसके विपरीत जब हमें हमारे शिक्षक या माता पिता पढ़ने को कहते थे और मार कर या डांट कर पढ़ने बिठाया करते थे तो हमारी पढ़ने में कोई रुचि रहती नहीं थी। इसका कारण यह है कि हमारी रुचि किसी अन्य विषय में थी।

                                             अवचेतन मन में कोई घटना, शब्द, दृश्य एक बार घुस जाए तो वहां से वह नहीं निकलता। वह हमेशा के लिए वही रह जाता है और हमारी आदत बन जाता है। आपने देखा होगा कि कई बार हम जब कोई गेम खेल रहे होते हैं तब  हम उसे पूरी एकाग्रता से खेलते हैं। गेम खेलते समय हमें और किसी भी चीज का ख्याल नहीं रहता और फिर रात में हमें  गेम के  विषयक सपने आते हैं अथवा तो उसकी आवाज सुनाई देती है। इसका कारण यही है कि गेम खेलते समय हमारा चेतन मन और अवचेतन मन एक हो जाते है। 

                                            इस तरह हम कोई भी कार्य पूरी एकाग्रता से चेतन मन और अवचेतन मन को जोड़कर करेंगे तो सफलता अवश्य प्राप्त  होगी।

                                            जैसे आप बाइक चलाते समय सबसे पहले क्या करते हैं? कहां देखते हैं? यह हम कर तो लेते हैं पर वह हमारे नियंत्रण में नहीं होता। क्योंकि वह हमारे अवचेतन मन के नियंत्रण में होता है। वैसे ही हमारे शरीर में दौड़ता हमारा  रक्त , हमारी सांसे,  हमारी धड़कन यह सब हमारे नियंत्रण में नहीं है बल्कि हमारे अवचेतन मन के नियंत्रण में है। एक बार अगर हमारे अवचेतन मन में कोई चीज घुस जाए तो वह होकर ही रहता है। यह हम पर नियंत्रित है कि हम किस तरह  की विचारसरणी रखते हैं। और "एक बार अगर अवचेतन मन में कुछ घुस जाए तो उसे करना नहीं पड़ता बल्कि हो जाता है।"

                                             पूरे दिन में ऐसे दो समय होते हैं जिसमें हमारा अवचेतन मन सबसे ज्यादा कार्यशील होता है। एक तब जब हम उठते हैं और एक तब जब हम  सोने का प्रयास करते हैं। यह मेरा स्वतः अनुभव है और आशा करता हूं आपका भी  होगा। आपने देखा होगा कि रात में हम जिस विषय पर सोच कर सोते हैं। सुबह उठकर हमें वही चीज का पहला विचार आता है जो हमने रात में  सोते समय विचार किया था। अगर हम रात को चिंता करके सोए तो सुबह उठकर हमें सबसे पहले चिंता ही होती है। वैसे ही बिल्कुल उसके विपरीत हम रात को खुश होकर सोए तो हमें सुबह उठकर खुशी ही महसूस होती है।

                                             अगर हम रात को  यह तय  करके सोए कि हमें सुबह  5:00 बजे उठना है तो हमारा अवचेतन मन  हमें बिल्कुल 5:00 बजे उठा  ही देगा।अगर हम अपने अवचेतन मन को ठीक  से आदेश देना सीख जाए तो हमें सब कुछ प्राप्त हो सकता है। 

                                             हम सबकी मुख्य परेशानी यही है कि हम अपने मन का आदेश मानते हैं। "जब हमारा मन हमारा आदेश मानने  लगेगा तब चमत्कार हो जाएगा !"

                                             तो हमारे  मन को आदेश देना सीखे ना कि मन का आदेश  मानना सीखें। प्रतिदिन हमारा मन हमें आदेश दे रहा है कि यह कर लो वह कर लो हम हमारे मन के ही गुलाम होते चले जा रहे हैं तो आज से संकल्प ले की, "हम अपने मन के गुलाम नहीं होंगे मन को अपना गुलाम बनाएंगे"  अस्तु।


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