सुख और दुख
सुख और दुख क्या है सुख और दुख में से कोई भी शाश्वत नहीं है अर्थात कायम नहीं है दोनों ही एक समय पर विलीन हो जाते हैं हमें किसी सुख का अनुभव थोड़े समय तक ही होता है और दुख का अनुभव भी थोड़े समय तक ही होता है जब तक हम किसी वस्तु व्यक्ति या पद को सुख मानेंगे तो हमें कभी भी सुख मिल ही नहीं सकता क्योंकि सुख कभी भी पाया नहीं जा सकता आज तक हम सुख और दुख को कभी जान ही नहीं सके सुख और दुख मन के एक भाव है जिस वस्तु में हमारी रुचि है वह वस्तु हमें प्राप्त हो जाए तो हमें सुख की अनुभूति होती है और अगर वही वस्तु हमें प्राप्त ना हो ऐसी कोई वस्तु जो हम स्वीकारना ना चाहते हो वह हमें प्राप्त हो जाए तो हमें दुख की अनुभूति होती है सुख और दुख दोनों में से कोई भी सत्य नहीं है कहने का मतलब है कि जो हमें लगता है कि "यह हमारा सुख है और यह हमारा दुख है तो दोनों ही हमारे भ्रम है" अगर वास्तव में कोई हमारे लिए सुख होता तो वह सबके लिए सुख होता और हमारे लिए जो दुख होता वह सबके लिए दुख होता पर ऐसा नहीं है क्योंकि व्यक्ति के अनुसार व्यक्ति के भाव अ